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राजस्थान की प्रमुख जनजातियां समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान

      भारत की सामाजिक संरचना में जनजातियाँ अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, परंपराओं, जीवन-पद्धति एवं प्रकृति-आधारित ज्ञान के कारण एक विशेष स्थान रखती हैं। भारतीय संविधान ने इन समुदायों की विशिष्टता, संवेदनशीलता और ऐतिहासिक वंचनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा और समृद्धि हेतु विशेष प्रावधान किए हैं। तथापि, आज भी जनजातीय समाज अनेक बहुआयामी समस्याओं- आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक और राजनीतिक-का सामना कर रहा है। ये समस्याएँ केवल गरीबी या संसाधनों की कमी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि औपनिवेशिक इतिहास, विकास परियोजनाओं, आधुनिकता के दबाव, प्रशासनिक उपेक्षा तथा भूमंडलीकरण जैसे व्यापक कारकों से उत्पन्न हुई हैं।        भारत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित राजस्थान अपनी सांस्कृतिक विविधता, ऐतिहासिक परम्पराओं और समृद्ध आदिवासी विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध है। राज्य की कुल जनसंख्या में लगभग 13% हिस्सा जनजातीय समुदायों का है, जो मुख्य रूप से अरावली पर्वतमाला के वनक्षेत्रों, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी जिलों में निवास करते हैं। भील, मीणा, गरासिया, सहरिया...