अनूठी है दक्षिणी राजस्थान में आदिवासी बच्चों की नामकरण परम्परा
दक्षिणी राजस्थान में मुख्य रूप से बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले आते है जो वागड़ के नाम से प्रसिद्ध है। वागड़ क्षेत्र में भील, मीणा, गरासियाऔर डामोर जनजातियां निवास करती है। प्राचीन वागड़ क्षेत्र में वर्तमान डूंगरपुर और बांसवाड़ा के राज्यों तथा मेवाड़ राज्य का कुछ दक्षिणी भाग अर्थात छप्पन नामक प्रदेश का समावेश होता था। अध्ययन क्षेत्र का परिचय - दक्षिणी राजस्थान के वागड़ क्षेत्र में भील, मीणा, गरासिया और डामोर जनजातियां निवास करती है। लगभग 80 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाला वागड़ का विशाल क्षेत्र 23° 1' से 74° 24' पूर्वी देशान्तरों के मध्य स्थित है। आदिवासी क्षेत्र वागड़ अंचल राजस्थान का सर्वाधिक पिछड़ा, अविकसित मूलभूत बुनियादी नागरिक सुविधाओं से वंचित क्षेत्र है। सदियों से अशिक्षा और अंधकार के क्षेत्र में जी रहे आदिवासी लोगों के जीवन में शिक्षा और ज्ञान की रोशनी लाने की त्वरितः आवश्यकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और कृषि विकास की योजनाओं तक लोगों की पहुंच नहीं बन पाई है। जंगलों और वर्षा पर आधारित कृषि पर निर्भर आर्थिक रूप से बेहद कमजोर यहां की आबादी रोजग...