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भील जनजाति का सामाजिक संगठन एवं सामुदायिक भावना

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    भील जनजाति का सामाजिक जीवन एवं सामुदायिक भावना देश के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। सामुदायिक भावना की हलमा प्रणाली आज भी देश वासियों को निःशुल्क एक- दूसरे को मदद करने एवं भाई चारे का संदेश देती है।भील जनजाति भारत की प्राचीन, व्यापक तथा सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जनजातियों में से एक है। इनके सामाजिक संगठन की जड़ें परंपरागत परिवार-व्यवस्था, गोत्र प्रणाली, फलिया—ग्राम संगठन, जाति पंचायत तथा सामुदायिक आचारों में गहराई से निहित हैं। भील समाज की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसकी सामुदायिक भावना है, जो सहयोग, साझा श्रम, परस्पर निर्भरता तथा सांस्कृतिक एकता पर आधारित है । यह शोध-पत्र स्पष्ट करता है कि सामुदायिक भावना किस प्रकार इस संगठन को जीवित, सक्रिय और सुदृढ़ बनाए रखती है।       भील जनजाति मुख्यतः राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में निवास करती है। इतिहासकार इन्हें भारत की अत्यंत प्राचीन जनजातियों में गिनते हैं। भील समाज का सामाजिक ढाँचा प्राकृतिक परिवेश, परंपरा, सामूहिकता और सामाजिक नैतिकताओं पर आधारित रहा है। सामाजिक संगठन किसी भी जनजाति के ज...