आस्था एवं विश्वास का प्रमुख केंद्र वागड़ का त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर
दक्षिणी राजस्थान का वागड़ क्षेत्र अपनी लोक संस्कृति और आध्यात्मिकता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां पर लोक आस्था और धार्मिक दृष्टि से अनेक मंदिर और उपासना केंद्र है जिसमें विश्व प्रसिद्ध है मां त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर जो बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 15कि.मि.दूर स्थिति तलवाड़ा के पास उमराई गांव की पहाड़ियों में स्थित मां त्रिपुरा सुंदरी माता का एक प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर है।
राजस्थान के दक्षिणी अंचल में स्थित वागड़ क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र की भूमि आदिकाल से देवी उपासना की भूमि रही है। वागड़ की धरती पर कई देवी-देवताओं के तीर्थस्थल विद्यमान हैं, जिनमें सबसे प्रमुख और पूजनीय स्थान है - त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर, जो बांसवाड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर न केवल वागड़ की आस्था का केंद्र है, बल्कि राजस्थान की शक्ति उपासना परंपरा का जीवंत प्रतीक भी है।
परिचय- त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर बांसवाड़ा जिले के तलवाड़ा कस्बे के पास स्थित है। यह मंदिर वागड़ क्षेत्र के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण वागड़ के राजवंश द्वारा कराया गया था। लोककथाओं के अनुसार, वागड़ नरेश ने माता के आदेश पर यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया था।त्रिपुरा सुंदरी माता को 'तारिणी देवी' और 'ताराताई' के नाम से भी जाना जाता है। यह देवी महाशक्ति की प्रतीक हैं, जो त्रिदेवी स्वरूप - महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली - का संयुक्त रूप मानी जाती हैं। उनका नाम "त्रिपुरा सुंदरी" इसीलिए पड़ा क्योंकि वे तीनों लोकों (भू, भुवः, स्वः) की सुंदरी अर्थात अधिष्ठात्री देवी हैं
मंदिर की ऐतिहासिकता - मन्दिर निर्माण के कोई ऐतिहासिक साक्ष्य तो नहीं हैं पर यह मन्दिर सम्राट कनिष्क के काल से पूर्व का माना जाता है। रियासत काल में राजा महाराजाओं ने इस मन्दिर को भक्तों की भावनाओं का आदर करते हुए इसका जीर्णोद्धार करवाया और श्रद्धालुओं के लिए खोला था। क्योंकि राजा महाराजा भी माँ त्रिपुरा सुन्दरी के उपासक थे। ईस्वी सन् 1977 में राजस्थान सरकार द्वारा एवं दान दाताओं के सहयोग से जीर्णोद्धार करवाया था। बाद में 1992 में पंचाल समाज ने मन्दिर पर नया शिखर प्रतिष्ठित किया था।
मंदिर की विशेषताएँ- त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर वागड़ की पारंपरिक स्थापत्य शैली में निर्मित है। मंदिर सफेद संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरों से बना है। इसका गर्भगृह छोटा किंतु अत्यंत भव्य है। माता की मूर्ति काले पाषाण की बनी हुई है।मन्दिर के गर्भ गृह में माँ भगवती की काले पत्थर की अठारह भुजाओं वाली भव्य एवं सुन्दर प्रतिमा प्रतिष्ठित हैं। जिसके दर्शन मात्र से ही समस्त प्राणियों को सुख समृद्धि एवं खुशहाली का आभास होता है।
इस भव्य मन्दिर की लोकप्रियता से पंचाल समाज का विशेष योगदान है जिसे वागड़ की संभ्रात जनता कभी नहीं भूल सकती है। वागड़ के लोग इस मन्दिर में विराजित देवी भगवती को तरताई माता के नाम से सम्बोधित करते हैं। देवी माँ सिंहवासिनी हैं और उनके अठारह भुजाओं में दिव्य अस्त्र शस्त्र हैं। उनके वाहन सिंह पर अष्टकमलदल हैं, जिस पर विराजमान माँ त्रिपुरा सुन्दरी का दाहिना पैर मुडा हुआ हैं और बांया पैर श्रीयंत्र पर हैं। माँ त्रिपुरा सुन्दरी की प्रतिमा के पीछे आठ छोटी छोटी देवी मूर्तिया हैं जो अस्त्र-शस्त्रों युक्त होकर अपने-अपने वाहनों पर आसीन हैं पृष्ठ भाग पर 52 भैरवों और चौंसठ योगिनियों की सुन्दर मूर्तियाअंकित है। माँ त्रिपुरा सुन्दरी की दायीं और बायीं और श्री कृष्ण तथा अन्य देवीयां और विशिष्ट पशु अंकित है। इससे देवासुर संग्राम की झांकी दृष्टिगत होती है। माँ भगवती की प्रतिमा बहुत ही सुन्दर और चित्ताकर्षक दिखती हैं। चैत्र एवं शारदीय नवरात्र में विशेष रूप से यहां भक्तों की भीड दर्शनों के लिए उमड़ती हैं। जिसमें पूरे देश से लाखों श्रद्धालु माँ त्रिपुरा सुन्दरी के दर्शन करने आते हैं। पिछले वर्षों में इस मन्दिर को भव्य एवं लोकप्रिय बनाने के लिए राजस्थान सरकार ने लगभग 8 करोड़ से अधिक की धनराशि इस मन्दिर के विकास पर खर्च की हैं। इस मन्दिर की गिनती देश के 52 शक्तिपीठों में भी होने लगी हैं।
आस्था एवं मान्यता - वागड़ का नाम इस प्राचीन व ऐतिहासिक मन्दिर की वजह से देश विदेश में लोकप्रिय हो गया हैं। माँ शक्ति 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं इसलिए इसे षोड़शी भी कहते हैं। तीन देव, तीन अग्निया, तीन शक्ति, तीन स्वर, तीन लोक, तीन वर्ण ओर तीन अवस्थाएं हैं । इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व में जितने भी तीन संख्या वाले विशिष्ट पदार्थ हैं, वे सभी त्रिपुरा इस नाम से अनवरत परम देवता की महिमा के द्योतक हैं। देवताओं ने प्रलय होने पर माँ त्रिपुरा सुन्दरी से प्रार्थना की कि हम लोगों को प्रलय से बचाएं तब माँ भगवती ने तीनों लोको को प्रलय से बचाया था इसलिए माँ त्रिपुरा सुन्दरी मन्दिर उमराई (तलवाड़ा) में भक्तों की विशेष भीड़ रहती हैं। इस मन्दिर पर नवरात्रि में राजस्थान, एम.पी., गुजरात, महाराष्ट्र एवं देश के अन्य हिस्से से श्रद्धालु दर्शन एवं पूजा अर्चना करने आते हैं। नवरात्रि में भक्तों द्वारा एक ही देवी माँ के अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है। माता के मन्दिर में जो भी इन्सान मन्नत मांगता हैं माँ उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का पर्यटन महत्व- यह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वागड़ की हरियाली, अरावली की पहाड़ियों और शांत वातावरण के बीच स्थित यह स्थल पर्यटकों को अध्यात्म और प्रकृति दोनों का अनुभव कराता है।
राजस्थान पर्यटन विभाग ने इस क्षेत्र को "शक्ति पीठ परिक्रमा पथ" में शामिल किया है, जिसमें त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर प्रमुख केंद्र है। यहाँ आने वाले पर्यटक बांसवाड़ा झीलों, माही बांध, अरथुना के प्राचीन अवशेष, घोटिया आंबा धाम, बांसवाड़ा महल, मानगढ़ धाम, चाचाकोटा, महाराणा प्रताप सेतु (गेमन पुल) बेणेश्वर धाम, साईं मंदिर, कागदी पिकअप, पाशर्वनाथमंदिर अंदेश्वर और प्राकृतिक स्थलों जैसी जगहों का भी भ्रमण करते हैं।
आधुनिक युग में माता की आस्था- आज जब समाज आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, तब भी त्रिपुरा सुंदरी माता की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से अब भक्त देश-विदेश से भी माता के दर्शन लाइव कर सकते हैं।
मंदिर ट्रस्ट द्वारा अनेक सामाजिक कार्य भी किए जाते हैं - जैसे गरीब विद्यार्थियों की सहायता, चिकित्सा शिविरों का आयोजन, महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आदि। इस प्रकार माता की कृपा केवल धार्मिक रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान के रूप में भी दिखाई देती है।
सारांश -यहां पर पहले आओ, पहले पाओ वाली कहावत चरितार्थ होती है। क्योंकि यहां जो भक्त पहले आकर माँ के दरबार में हाजिरी लगाते हैं उनकी मनोकामना पूरी होती हैं। इस मन्दिर पर आने वाले विशेष व्यक्तियों में भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी , मध्य प्रदेश के पूर्व सी एम दिग्विजय सिंह, उमा भारती, हिम्मत कोठारी, भरत सिंह सोलंकी, कैलाश जोशी, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई प्रशासनिक अधिकारी, यायाधीश, कई ख्यातनाम हस्तियां एवं देश की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील सहित देश की कई जानी मानी शख्सियतें इस मन्दिर पर आकर माँ के चरणों में नमन कर चुके हैं। माँ के आशीर्वाद से ही क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई संकट अभी तक नहीं आया है। क्योंकि माँ के दरबार में सभी भक्तों को समानता की दृष्टि से देखा जाता है। वागड़ में इस लोकप्रिय देवी माँ त्रिपुरा सुन्दरी को शत शत नमन।
मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही भक्ति का अद्भुत वातावरण अनुभव होता है। दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला, देवी-देवताओं के चित्र और पारंपरिक राजस्थानी नक्काशी देखने योग्य है। गर्भगृह के बाहर स्थित मंडप में श्रद्धालु माता की आरती और भजन करते हैं।वागड़ की त्रिपुरा सुंदरी माता न केवल एक देवी हैं, बल्कि आस्था, संस्कृति और शक्ति का प्रतीक हैं। वे वागड़वासियों के हृदय में बसती हैं और उनके जीवन की दिशा तय करती हैं। त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर इस बात का प्रमाण है कि भारत की शक्ति उपासना परंपरा कितनी प्राचीन, गहन और जीवंत है।
माता त्रिपुरा सुंदरी का संदेश स्पष्ट है – "सत्य, करुणा और धर्म के मार्ग पर चलने वाला ही सच्चा भक्त है।"
वागड़ की यह धरती आज भी माता की कृपा से पवित्र, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है।
डॉ. कांतिलाल निनामा
अतिथि व्याख्याता
गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय
बांसवाड़ा, राजस्थान
आप पर मां त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद बना रहे। आप जनजातियों के इतिहास, कला, संस्कृति और विरासत पर निरन्तर लेखन द्वारा समाज को लाभान्वित करते रहो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ..
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जवाब देंहटाएंNice article
जवाब देंहटाएंNice 👍
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