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जनजातीय पारंपरिक विरासत स्वदेशी ज्ञान एवं औषधीय ज्ञान की वर्तमान में भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रासंगिकता

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       भारत के जनजातीय समुदायों का जीवन स्वदेशी ज्ञान और परंपराओं पर आधारित है। यह ज्ञान प्रणाली प्रकृति, पर्यावरण, कृषि, चिकित्सा और सामाजिक संगठन से गहराई से जुड़ी हुई है। वर्तमान युग में जब आधुनिकता, बाजारवाद और औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरणीय असंतुलन एवं सामाजिक विघटन बढ़ रहा है, तब जनजातीय स्वदेशी ज्ञान एक संतुलित, टिकाऊ और मानवतावादी जीवन दृष्टि प्रदान करता है। परिचय- भारत में लगभग 705 जनजातियाँ निवास करती हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 8.6% हिस्सा हैं (Census, 2011)। इन जनजातियों का जीवन पर्यावरण, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है। स्वदेशी ज्ञान (Indigenous Knowledge) को हम उस पारंपरिक अनुभवजन्य ज्ञान के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जो किसी समुदाय द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित किया गया है। यह ज्ञान न केवल जीवनयापन का साधन है बल्कि एक सांस्कृतिक दर्शन भी है जो मनुष्य और प्रकृति के सामंजस्य पर आधारित है।       वर्तमान युग में जब औद्योगिकीकरण, जलवायु परिवर्तन, और सामाजिक असंतुलन जैसी समस्याएँ उभर रही हैं, तब यह प्रश्न प्रासंगिक हो जाता है...

भील जनजाति में दीपावली का त्यौहार एवं सामाजिक महत्व

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     त्यौहार एवं उत्सव मानव-समाज के उल्लास के प्रतीक हैं। इनके माध्यम से विह्वल मांनव अपनी दुःख मय जीवन-कथा को सुखी बनाता है और कुछ समय के लिए स्वर्गीय वातावरण में अपने आपको निमग्न कर लेता है।        भील जनजाति के उत्सव उनकी आस्थाओं, विश्वासों एवं परम्पराओं के परिचायक हैं। इनसे हम इनके देवी-देवताओं से अवगत होते हैं और इनकी सामाजिक भावानाओं को सहज ही समझ लेते हैं। अन्य आदिवासियों की तरह भील भी आस्तिक हैं और श्रद्धावान होने के कारण वे अपने प्रत्येक उत्सव (धार्मिक अथवा सामाजिक) को देवी-देवता की आराधना से प्रारम्भ करते हैं। नवीन अन्न की प्राप्ति पर वे आनन्द से झूम उठते हैं और इसे सर्वप्रथम अपने देवता के चरणों में रखकर अपनी कृतज्ञता का प्रकाशन करते हैं। परिचय - भारत त्यौहारों का देश है जहाँ प्रत्येक समुदाय अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार पर्व मनाता है। इन्हीं विविधताओं के बीच राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी राजस्थान की वागड़ भूमि में निवास करने वाली भील जनजाति अपनी विशिष्ट लोकसंस्कृति और उत्सवों के लिए जानी ...